बेबस लड़की के जख्मों को कौन सहलाए........(Story of Rape Victim)

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बेबस लड़की के जख्मों को कौन सहलाए........(Story of Rape Victim)




आज पायल के लिए काफी बड़ा दिन था. क्योंकि आज उसका जन्मदिन था और ये जन्मदिन तो कुछ खास ही था. आज पायल 25 साल की हो गई थी. उसने एक दिन पहले ही सोच रखा था कि इस बार वो पहले अपने दोस्तों के साथ दिन में पार्टी करेगी और फिर रात में अपने परिवार के साथ.

RAPE VICTIMउस दिन जब वो सुबह जगी तो सबसे पहले उसकी मां ने उसके सर को चूम कर उसे आशीर्वाद दिया और कहा कि तुम जीयो हजारो साल, तुम को मेरी भी उम्र लग जाए. इस पर पायल ने कहा कि ऐसे क्यों बोलती हो मां तुम को मेरी उम्र लग जाए.

इस पर उसकी मां ने उसके गाल पर मारा और कहा  कि ऐसे नहीं बोलते हैं. तब तक उसके पापा और बहन भी उसके कमरे में आ चुके थे. दोनों ने उसे जन्मदिन की मुबारकबाद दी और तोहफे भी दिए. उसकी बहन ने उसे तोहफे में फोटोफ्रेम दिया और कहा कि दीदी इसमें अपनी और मेरी तस्वीर लगाना और फिर सब हंसने लगे.

यह मर्द बलात्कारी नहीं मानसिक रोगी हैं


उसके बाद पायल तैयार होकर अपने दोस्तों के साथ पार्टी मनाने चली गई. धीरे-धीरे शाम हो गई….शाम से फिर रात हो गई लेकिन पायल नहीं आई. इधर उसके मां, पापा, बहन सब परेशान हो रहे थे. रात भर इंतजार के बाद जब सुबह तक पायल का कोई पता नहीं चला तो उसके पापा ने सोचा कि पुलिस में खबर कर देनी चाहिए. पुलिस के पास जाने के लिए जैसे ही उसके पापा ने दरवाजा खोला तो सामने पायल खड़ी थी. उसकी हालत काफी खराब थी. उसके पापा उसे पकड़ कर अंदर लाए. उसे देख कर उसकी मां धम्म से नीचे बैठ गई. उन्हें लग गया कि पायल के साथ कुछ बुरा हुआ है.

इधर पायल लगातर रोए जा रही थी और कह रही थी पापा मुझे बचा लो. काफी देर बाद जब उसकी उसकी मां को होश आया वह उसके पास आई और उसे कमरे में ले गई.

पायल कुछ भी बोलने की हालत में नहीं थी और इधर उसकी बहन चुपचाप देख कर ये समझने की कोशिश कर रही थी कि ये सब क्या हो रहा है. और इधर पायल लागतार रोए जा रही थी. दो दिन ऐसे ही बीत गए. घर में ऐसी खामोशी थी मानो किसी ने सालों से कुछ बोला ही ना हो.

फिर ये बात धीरे-धीरे मीडिया में फैल गई और उसके बाद ये बात पूरे शहर में आग की तरह फैल गई कि पायल के साथ रेप हुआ है. बस इसके साथ ही उसके परिवार की बची हुई इज्जत भी लुट गई. हर कोई बाहर निकलने पर सवाल पूछ्ता और ताने मारता. लोग यही कहते कि उनकी बेटी ही बदचलन थी. ये ताने सुन-सुन कर उसके मां-बाप पूरी तरह से टूट चुके थे. पायल ने तो बाहर निकलना बिल्कुल छोड दिया था. वह हर वक्त रोती ही रहती थी.


आखिरकार क्या हुआ था 16 दिसंबर की रात ?


उसके पापा ने सोचा कि ऐसे नहीं चलेगा. उन्होंने पायल से कहा कि वो उन लडकों का नाम बताए ताकि वह पुलिस में उनकी शिकायत दर्ज करा सकें. फिर उस रात जब सब सोने चले गये तब पायल ने सोचा कि अगर उसके पापा ऐसा करते हैं तो उनकी और बदनामी होगी. फिर पायल ने एक ऐसा निर्णय लिया जिसके बारे में उसके परिवार वालों ने कभी सोचा भी नहीं था.

अगले दिन जब उसकी मां उसको जगाने गई तब पायल हमेशा के लिए सो चुकी थी. उसकी मां ने उसको जगाने की बहुत कोशिश की लेकिन वो नहीं जगी. पायल इस क्रूर दुनिया से बहुत दूर जा चुकी थी. उसके मां-पिता जोर-जोर से चिल्ला कर रो रहे थे और बहन चुपचाप खड़ी हो कर उस फोटोफ्रेम को देख रही थी जिसे उसने अपनी बहन को तोहफे में दिया था उसके मन में यही चल रहा था कि………“ये आंखें सब को देखती हैं तुझे नहीं तो इसके होने का क्या फायदा. मेरी मुस्कुराहट में जब तू शामिल नहीं होती तो मेरी हंसी मुझे बेमानी और खोखली लगती है……….!!

उपरोक्त दास्तां हर उस पीड़ित लड़की कि हो सकती है जिसे बलात्कार का शिकार बनाया गया हो. अनकही दर्दभरी कहानियों के पीछे कितनी सिसकियां होती हैं इसे जानने की कोशिश ये समाज कभी नहीं करता. व्यवस्था तो पूरी तरह संवेदनहीन है ही और दोस्त, रिश्तेदार भी रेप पीड़िता के लिए उत्पीड़क ही साबित होते हैं. समाज की निर्दयता की शिकार बेबस लड़की के जख्मों को मरहम कैसे लगे यह सोचना हर उस व्यक्ति का कर्तव्य है जो स्त्री को उसे पूरे सम्मान से जीने देने की वकालत करता है. इस ब्लॉग की अगली कड़ियों में हम बलात्कार, इसके दुष्परिणाम, दोषियों की मानसिकता, अपराधी को सजा और पीड़ित को न्याय दिलवाने के उपायों पर चर्चा करेंगे


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PARVESH JAKHAR
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